RTE 2009, NCF 2005 , NEP 2020 , TAG WORLD KE NOTES
नमस्कार दोस्तों आज हम ले कर आये है | RTE 2009, NCF 2005 , NEP 2020 , TAG WORLD KE NOTES जो आप को एक्साम्स में आच्छे अंक दिलाए गा | अगर आप इस को पढ़ लेते है तो आप के RTE 2009, NCF 2005 , NEP 2020 प्रश्न आसानी से हो जाये गे |
RTE 2009
( Right to Education )
शिक्षा का अधिकार
वर्ष 2002 में संविधान के 86 वें संशोधन द्वारा अनुच्छेद 21ए के भाग 3 के माध्यम से 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया था।
‘इसको प्रभावी बनाने के लिए 4 अगस्त, 2009 को लोकसभा में यह अधिनियम पारित किया गया, जो 1 अप्रैल, 2010 से पूरे देश में लागू हो गया।
RTE का Official नाम है – The Right of Children to free and compulsory Education Act 2009 (निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009)
धारा 12 :
RTE 2009 के अनुसार प्राइवेट स्कूल में कितने प्रतिशत सीटें गरीब विद्यार्थियों के लिए आरक्षित होती है – 25%
धारा 13 :
प्रति व्यक्ति फीस लेने पर शुल्क का 10 गुना जुर्माना देना होगा।
धारा 14 :
किसी बालक के पास जन्म प्रमाण पत्र न होने की स्तिथि में विद्यालय में प्रवेश लेने से इंकार नहीं किया जा सकता।
धारा 15 :
बच्चों को शैक्षणिक वर्ष के आरम्भ में प्रवेश दिया जाये गा |
धारा 16 :
Student को न तो class में फेल किया जाएगा और न हि विद्यालय से निकाला जाये गा |
धारा 17 :
बच्चों को शारीरिक दंड देना और प्रताड़ित करना मना है
धारा 24 :
शिक्षक के कर्तव्य
धारा 27 :
RTE 2009 के ACCORDING शिक्षक को गैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाया जा सकता (जनगणना, चुनाव, आपदा प्रबंधन ) छोड़ कर
RTE 2009 के अनुसार प्राथमिक कक्षाओं में छात्र एवं शिक्षक का अनुपात होता है – 30:1
RTE 2009 के अनुसार उच्च प्राथमिक स्तर पर छात्र एवं शिक्षक का अनुपात होता है 35:1
RTE 2009 के अनुसार कक्षा 1 से 8 तक यदि प्रवेश दिए गए सदस्यों की संख्या 200 से अधिक है तो विद्यार्थी एवं शिक्षक का अनुपात होगा 40 :1
RTE 2009 के अनुसार कक्षा 1 से 5 तक के बालको के घर से विद्यालय की दूरी होनी चाहिए 1km
यदि प्राथमिक स्तर पर 150 से अधिक बच्चे हो तो इसके लिए प्रावधान एक प्रधानाध्यापक और 5 शिक्षक
RTE 2009 के अनुसार शिक्षक के लिए एक सप्ताह में न्यूनतम कितने घंटे कार्य होते हैं – 45 घंटे
RTE 2009 के अनुसार प्राथमिक स्तर पर न्यूनतम शैक्षणिक घंटे व कार्य दिवस होता है- 800 घंटे ,200 दिन
RTE 2009 के अनुसार उच्च प्राथमिक स्तर पर न्यूनतम शैक्षणिक घंटे व कार्य दिवस होता है- 1000 घंटे, 220 दिन
RTE 2009 के अनुसार किस कक्षा तक बालक को निष्काषित नहीं किया जा सकता है – कक्षा 8 तक
RTE 2009 के अनुसार SMC (SCHOOL MANAGEMENT COMMITTEE) का अध्यक्ष होता है- अभिभावक
इस अधिनियम के अनुसार स्कूल के विकास के अनुदान एवं खर्च का उत्तरदायित्व विद्यालय प्रबंधन समिति का होगा।
RTE 2009 के अनुसार विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों को किस शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत पढ़ना चाहिए- समावेशी शिक्षा व्यवस्था
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के क्रियान्वयन के बाद कक्षा – कक्ष आयु के अनुसार अधिक समजातीय है |
RTE 2009 के ACCORDING दिव्यांग बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा- 18 वर्ष तक है।
NCF 2005
NATIONAL CURRICULUM FRAMEWORK 2005
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 एक ऐसा दस्तावेज है जिसमे ऐसे विषयों पर चर्चा की गई है। कि बालको को क्या और किस प्रकार से पढ़ाया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के मार्गदर्शी सिद्धांत
- ज्ञान को स्कूल के बाहरी जीवन से जोड़ा जाए।
- पढाई को रटंत प्रणाली से मुक्त किया जाए।
- पाठ्यचर्या पाठ्यपुस्तक केंद्रित ना हो।
- विदयालय में दी जाने वाली शिक्षा को विभिन्न प्रकार की गतिविधियों से जोड़ा जाए।
- राष्ट्रीय मूल्यों के प्रति आस्थावान विद्यार्थी तैयार किये जाए।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के प्रमुख सुझाव
- बालक सक्रिय है, वह स्वयं से जाने और सीखे और नयी नयी चीजों
- को आजमाए, जोड़ तोड़ करे, गलतियां करे, और स्वयं सुधार करे
- सीखना सक्रिय व सामाजिक गतिविधि है |
- सिखने में यांत्रिकता (बार-बार नहीं होनी चाहिए |
- सिखने को डर और अनुशाशन की जगहे आनंद एवं संतोष से जोड़ा जाये |
- बालक को स्कूल, घर, समुदाय आदि सब जगह महत्वपूर्ण मन जाये और उसकी भाषा, संस्कृति को भी सम्मान दिया जाये |
- प्राथमिक स्तर पर पाठ्यचर्या की सभी गतिविधि में भाषा व गणित का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है |
- बहुभाषिक कक्षा शिक्षण तीन भाषाओं ( त्रि भाषा सूत्र ) की वकालत करता है |
- इस ने भाषा के चार कौशल की बात की है – सुनना , बोलना , पढ़ना , लिखना |
- किसी भी प्रकार की सूचना को ज्ञान मानने से बचा जाए।
- विद्यार्थियों को दी जाने वाली शिक्षा में शिक्षण सूत्र जैसे ज्ञात से अज्ञात की ओर, मूर्त से अमूर्त की ओर आदि शिक्षण सूत्र का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाए।
- सजा व पुरष्कार की भावना को सीमित किया जाए।
- सह-शैक्षिक गतिविधियों में बच्चों के अभिभावकों को भी जोड़ा जाए।
- विशाल पाठ्यक्रम व मोटी किताबें शिक्षा प्रणाली की असफलता का प्रतीक है। मूल्यों को उपदेश देकर नहीं वातावरण देकर स्थापित किया जाए।
- पुस्तकालय में बच्चों को स्वयं पुस्तक चुनने का अवसर दें।
- सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मनोरंजन के स्थान पर सौंदर्य बोध को बढ़ावा दें।
- शिक्षकों को अकादमिक संसाधन व नवाचार आदि समय पर पहुंचाए जाएं।
- समुदाय को मानवीय संसाधन के रूप में प्रयुक्त होने का अवसर दें। मानसिक स्तर एवं योग्यता के अनुसार पाठ्यक्रम का निर्धारण
- बालकों के चहुंमुखी विकास पर आधारित पाठ्यचर्या हो ।
- सभी विद्यार्थियों हेतु समावेशी वातावरण तैयार करना।
NCF 2005 पांच विधियों पर जोर देता है –
(1) करके सीखना
(2) निरीक्षण विधि
(3) परीक्षण विधि
(4) सामूहिक विधि
(5) मिश्रित विधि
■ NCF 2005 में शिक्षक के प्रति दृष्टिकोण शिक्षक ज्ञान का स्त्रोत नहीं बल्कि एक ऐसा सुगमकर्ता है, जो सूचना को अर्थबोध में बदलने की प्रक्रिया में विविध उपायों द्वारा बच्चों हेतु सहायक हो।
NEP 2020
National Education Policy
■ NEP के निर्माण के लिए JUNE 2017 में ISRO के पूर्व Chief Dr K Kasthuri Rangan की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने मई 2019 में NEP का मसौदा तैयार किया था |
■ National Education Policy 2020, वर्ष 1968 और वर्ष 1986 के बाद स्वतन्त्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति होगी।
■ NEP 2020 के तहत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा पर GDP के 6% हिस्से के बराबर निवेश का लक्ष्य रखा गया है।
■ CABINET द्वारा MHRD का नाम बदल कर EDUCATION MINISTRY करने को भी मंजूरी दी गयी है |
■ वर्ष 2030 तक अध्यापन के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता चार वर्षीय एकीकृत B.ed डिग्री का होना अनिवार्य किया जायेगा |
■ नयी शिक्षा नीति के तहत M. phil को समाप्त कर दिया गया है |
School Education
■ यह नीति वर्तमान की 10+2 वाली स्कूली व्यवस्था को 3 से 18 वर्ष के सभी बच्चों के लिए पाठ्यचर्या और शिक्षण शास्त्रीय आधार पर 5+3+3+4 की नयी व्यवस्था में करने की बात करती है |
इस नीति के आधार सिद्धांत –
- सरचनात्मक समझ पर जोर देना न की रटंत पति और केवल परीक्षा के लिए पढ़ाई पर
- बहुभाषिकता और विविधता को प्रोत्साहन देना, क्योंकि बहुभाषी होने के उच्च संज्ञानात्मक लाभ होते हैं |
- सिखने के लिए सतत मूल्यांकन Continues Evaluation पर जोर देना ना की साल के अंत में होने वाली परीक्षा को केंद्र में रखकर शिक्षण हो और मूल्यांकन का उद्देश्य बच्चो को सिखने की प्रक्रिया में मदद करना भी है |
- छात्र की Progress के मूल्यांकन Evaluation के लिए “ परख “
- की स्थापना की जाएगी
- बच्चों की शिक्षा का माध्यम कम से कम क्लास 5th या क्लास 8 या उस के आगे तक भी घर की भाषा / मातृभाषा / स्थानीय भाषा होगी
- राज्य विशेष रूप से भारत के अलग अलग राज्यों में “Three Language formula” को अपनाए लेकिन इस formula में लचीलापन रखा जायेगा। त्रिभाषा सूत्र के अन्तर्गत एक विकल्प के रूप में (दूसरी) भारतीय भाषाओं (Sanskrit) का अध्ययन
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, भारत सरकार की एक भारत श्रेष्ठ भारत पहल, इस बात पर बल देती है कि विद्यार्थी अधिकांश रूप से प्रमुख भारतीय भाषाओं की उल्लेखनीय एकता के बारे में जानेंगे।
- कक्षा छह के लिए एक अतिरिक्त भाषा के रूप में शास्त्रीय भाषा Classical Language (Tamil, Telugu, Kannada, Malayalam, Odisha, Pali, Farsi) आदि का अध्ययन।
- माध्यमिक स्तर पर एक अतिरिक्त विकल्प के रूप में विदेशी भाषा (कोरियन, जापानी, थाई, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, पुर्तगाली और रूसी) का अध्ययन ।
- NEP 2020 “यह सीखना की कैसे सीखना है और “मानकीकरण से लचीलापन की और बदलाव का प्रस्ताव रखती है।
- हर बच्चे की विशिष्ट क्षमताओं, रचनात्मकता, तार्किक सोच, नवाचार और समालोचनात्मक चिंतन की पहचान करना और उनके समग्र विकास के लिए प्रयत्न करना
- समावेशी शिक्षा = सभी के लिए अधिगम
- दिव्यांगन अधिगार अधिनियम 2016 (RPWD) यह समावेशी शिक्षा को एक ऐसी व्यवस्था के रूप में define करता है, जहा सामान्य व दिव्यांग सभी बच्चे एक साथ सीखते है |
- NEP 2020 के ACCORDING दिव्यांग बच्चों के लिए एक प्रत्येक STUDENTS के लिए एक शिक्षा और निजी शिक्षक के प्रावधान को बताया गया है।
- Class 6 से ही शैक्षिक पाठ्यक्रम में में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल कर लिया जायेगा और इसमें Internship की व्यवस्था भी की जाएगी
- पाठ्यक्रम की विषयवस्तु को प्रत्येक subject में कम करके इसे बेहद बुनियादी चीज़ो पर केंद्रित किया जायेगा ताकि आलोचनात्मक चिंतन, खोज आधारित चर्चा आधारित, विश्लेषण आधारित अधिगम पर जरूरी ध्यान दिया जा सके
- राष्ट्रीय पाठ्यपुस्तके – स्कूल के Curriculum में कमी, लचीलापन, और रट कर सिखने के बजाये रचनावादी सिखने के तरीके पर जोर देने के साथ साथ स्कूल की national text book में भी बदलाव होने चाहिए
- ECCE (Early childhood care and education) में मुख्य रूप से लचीली बहुआयामी, खेल आधारित, गतिविधि आधारित, खोज आधारित, बहुआयामी और बहुस्तरीय शिक्षा को शामिल किया गया है
- “स्कूल तैयारी module ” यह एक तीन महीने का play आधारित module है जो NCERT और SCERT द्वारा उन बच्चों के लिए बनाया जायेगा जो क्लास 1st में एडमिशन के कुछ ही हफ्तों बाद अपने सहपाठियों से पिछड़ जाते है |
- NEP 2020 के अनुसार अधिगम प्रयोगात्मक होना चाहिए जिसमे स्वयम करके सीखना और प्रत्येक subject में कला और खेल को एकीकृत किया जायेगा |
- NCERT & SCERT के मागदर्शन में राज्यों केंद्र शाषित प्रदेश द्वारा सभी students के school based assessment के आधार पर तैयार होने वाले और parents को दिए जाने वाले progress card को पूरी तरह से नया स्वरुप दिया जायेगा। यह progress card (प्रगति पत्र) समय 360 डिग्री बहुआयामी कार्ड होगा जिसमे सभी students के संज्ञानात्मक भावात्मक और (Psychomotor domain) में विकास का बारीकी से किये गए। Students की विशेषताओं समेत दिया जायेगा ।
TAG WORDS
NEGATIVE WORDS
- केवल / मात्र सिर्फ
- ‘रटना / याद करना / कंठस्त करना
- दंड / सजा / समस्या / बोझ / हतोत्साहित / भय
- ‘पुस्तक केंद्रित / शिक्षक केंद्रित
- खाली स्लेट / कोरी पट्टियां
- लैंगिक असमानता
- ‘बच्चे के विचार / मात्र भाषा / त्रुटियों को महत्व न देना
- निष्क्रिय
- रोजगार व्यवसायिक / उच्च रोड की शिक्षा
- तकनीकी वैज्ञानिक शब्दावली
- सीमित
- व्याख्या / व्याख्यान / परिभाषा
- मानकीकृत
- ‘वेधन और अभ्यास
- कलनविधि
- पृथक्करण और नामांकित
- तुलना
- उपेक्षा
- अनुशासन
- नियंत्रण
POSITIVE WORDS
- सर्वांगीण विकास
- करके सीखना / हस्तपरक अनुभव
- सम्मान / लगाव प्रोत्साहन
- जिज्ञाषा
- बाल केंद्रित
- व्यावहारिक कुशलता
- वास्तविक दैनिक जीवन से जोड़ना
- लोकतांत्रिक / प्रजातांत्रिक वातावरण
- ‘समावेशी कक्षा / शिक्षा
- दृश्य और श्रव्य सामग्री
- संसाधन
- विभिन्न सन्दर्भों में भाषा प्रयोग
- अवसर
- सक्रिय
- समझना
- खोजबीन
- समालोचनात्मक चिंतन
- संवेदनशील
- रचनात्मक आकलन
- त्रुटि / भ्रांतिया
- मातृभाषा
- बहुभाषिकता
- चर्चा
- संवेग
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